गरम बहना .....
बहना मेरी गरमा गरम फटाका है
जवानी में उसकी बला का झटका है
जो भी पहने, लगती मस्त माल है
सारे उभार हिलाती हुई उसकी चाल है
झाड़ू लगाने फर्श पे जब वो झुकती है
कड़क-काले निपल की झांकी करवाती है
फिर जब मारती है वो बैठ कर पोंछे
पिछवाड़ा उभरता है जैसे भरा बगीचा
नहाने के लिए जब जब वो जाती है
दरवाज़े की कुंडी लगाना भूल जाती है
दरार से किवाड़ की, करता भीगा दर्शन
थामे हाथ में लोडा,
आँखों में नंगा बदन
नहा के आती बहार पहने पतला साया
भीगे-भीगे चुतड पर
जैसे हो चिपकाया
कूल्हे तो ऐसे मटकते जब वो चले
जी करे- चलो अभी खड़े खड़े ही पेले
ऊपर चढाती वो महीन- मिनी कुर्ती
दिखती आधी पीठ , और पूरी नाभि
बदन ठीक से पोंछ जब ड्रेस बदलती
ढँकती कम और है ज्यादा दिखाती
बड़े बड़े मम्मे पर
होता छोटा सा टॉप
जो भी देखे उसकी खड़ी कर दे तोप
फ्रोक ऐसा छोटा सा पहनती है, हाये
हवा का झोंका खिले गुब्बारे दिखलाये
घर में जब ऐसा मीठा मीठा हलवा हो
गोटे में जलन, चाहे
आँखों को जलवा हो
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