देख तेरी
बहना की अंगड़ाई रे
भाई काहे ढूंढे छमिया पराई रे
देख तेरी बहना की अंगड़ाई रे
नज़र भर के देख तो ले भला,
घर में ही है ‘माल’ हरजाई रे
ढीली ढीली सी पहनी है कुर्ती
निगोडी ब्रा भी नहीं चढायी रे
कुर्ती है खुले खुले गले की
और न दुपट्टा ओढ़ आयी रे
सलवार के बस में नहीं अब
सम्हालना गांड ये गदराई रे
एक इशारे पर खुल जायेगी
गाँठ है नाडे की एसी लगायी रे
चाट चाट के चूस लेना सारी
कमर की चासनी है उबलाई रे
जो चाहे वो कर लेना भय्या
समझ मैं हूँ तेरी ही लुगाई रे
बात कब समझेगा भोले बुध्धू
कितनी रातें प्यासी यूँ गवाईं रे
नस नस में मचा गया है दंगा
आना - लोडे से कर तू चढाई रे
भाई काहे ढूंढे छमिया पराई रे
देख तेरी बहना की अंगड़ाई
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I wish I had twenty percent of your Hindi language skills. Exquisitely written rhymes. A work of art indeed.
ReplyDeleteDesi D : If you can not read Hindi -in this case it is my loss not yours...
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ReplyDeleteohhhhhh meri bhi koi bhai kar de chudai re.........
ReplyDeleteI m here meri behana!
Deleteदेव... :)
DeleteEmlen : thanks a lot dear---
ReplyDeleteBhai kahe dhudhe chamiya padai re! mast composition .... great work! pad ke lund kahda ho gya didi ko maine msg bhi kar diya hai ye apki composition! will post her comment!
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद देव... :)
ReplyDeleteआप की दीदी की कोमेंट का इन्तेज़ार है----
bahut acha
ReplyDeleterajesh -- keep visiting.... :)
Deletegood one
ReplyDeletewelcome Antony-
DeleteMeri behen ke jaisi use jaroor padh k khush hogi... uski garam gaand k liy mai kabse sapne dekhta hu..please meri behen ke liye bhi poem bana do
ReplyDeletesissyboy :) sure bro.
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